बौद्धिक नहीं, बॉट्स का जमाना! ट्रेडिंग में अब इमोशन्स का नहीं स्कोप

अगली बार जब आप शेयर खरीदें या बेचें तो हो सकता है कि आपका किसी इंसान के बजाय मशीन से राफ्ता पड़े। इसकी वजह यह है कि अब बाजारों में शेयरों की खरीद-बिक्री का बड़ा मूल्य इंसान के बजाय आधुनिक कंप्यूटर प्रणाली यानी अल्गोरिद्म के माध्यम से होने लगा है। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के मार्केट पल्स प्रकाशन के आंकड़ों के अनुसार मानव हस्तक्षेप या नॉन-अल्गोरिद्म कारोबार अब काफी कम होने लगा है। वित्त वर्ष 2011 से पहली बार अब नकदी के बाजार में अल्गोरिद्म कारोबार का बहुमत हो गया है। इस अवधि से कुछ ही समय पहले भारतीय शेयर बाजार में अल्गोरिद्म कारोबार की शुरुआत हुई थी।
वर्ष 2015 में डेरिवेटिव बाजार में एल्गोरिद्म के माध्यम से होने वाले कारोबार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत तक पहुंच गई थी। नकदी बाजार में वित्त वर्ष 2024 तक बिना-एल्गोरिद्म कारोबार का ही दबदबा था और शेयर कारोबार में यह एक मात्र आखिरी ऐसा खंड था जिसमें इंसानी हाथ का दबदबा था। नकदी बाजार में एल्गोरिद्म कारोबार की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2011 तक 17 प्रतिशत थी। फरवरी तक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में यह बढ़कर 53.8 प्रतिशत हो गई और इस अवधि में पहली बार 50 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर गई।
ये आंकड़े उन कारोबारी ऑर्डरों के विश्लेषण पर आधारित हैं जिनमें 15 अंकों की पहचान संख्या होती है। इस संख्या में ऑर्डर का स्वरूप (एल्गोरिद्म है या बिना एल्गोरिद्म वाला) की जानकारी होती है। पहले जो आंकड़े उपलब्ध थे उनमें एल्गोरिद्म कारोबार की हिस्सेदारी को लेकर साफ-साफ जानकारी उपलब्ध नहीं थी।
एल्गोरिद्म कारोबार का चलन बढ़ने से खुदरा निवेशक प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि वे स्टॉक एक्सचेंज में शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग में मुनाफा कमाते रहे हैं। एल्गोरिद्म कारोबार से जुड़ी सेवाएं देने वाली कंपनी क्वांटएक्सप्रेस टेक्नोलॉजीज के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) नवीन कुमार कहते हैं, ‘कंपनियों के वित्तीय नतीजों और इसी तरह की अन्य खबरों से अल्प अवधि में मुनाफा कमाने की उम्मीद करने वाले खुदरा निवेशकों के लिए अब केवल आनन-फानन में सौदे निपटाने की कला से बात नहीं बनेगी।‘कंपनी संस्थागत निवेशकों को सेवाएं देती है और एल्गोरिद्म ट्रेडिंग के समाधान उपलब्ध कराती है। इसमें मशीन से समाचारों को देखना और उनके आधार पर कारोबार करना शामिल है।
कुमार ने कहा, ‘अब ऐसा करना संभव नहीं लग रहा है। अब खुदरा निवेशकों के लिए एक ही रास्ता बचा है और वह यह कि झटपट सौदे निपटाने के बजाय मजबूत रणनीति अपनाएं या अपनी समझ बढ़ाएं।‘
कई एल्गोरिद्म कारोबार सेवा प्रदाता कंपनियां खुदरा निवेशकों के लिए एल्गोरिद्म कारोबार की तकनीक उपलब्ध करा रही हैं। कुमार ने कहा कि इससे तकनीक तक सभी की पहुंच बढ़ने लगी है। लेकिन संस्थागत निवेशकों की खुदरा निवेशकों की तुलना में तकनीक के इस्तेमाल पर अधिक खर्च करने की क्षमता होती है।
एक खुदरा ब्रोकरेज कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नकदी बाजार में कारोबार का एक बड़ा हिस्सा डिलिवरी आधारित होता है जिसका मतलब होता है कि एक ही दिन में पीजीशन बंद नहीं होती है। इसका मतलब है कि दीर्घ अवधि में मोटा मुनाफा कमाने के लिए खरीद करने वाले संस्थान और अन्य भी सबसे अच्छे भाव के लिए एल्गोरिद्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। कारोबार अधिक होने के समय एल्गोरिद्म अनुकूल कीमतें हासिल करने के लिए ऑर्डर को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर उन्हें मुकाम तक पहुंचाते हैं।
ग्रीकसॉफ्ट टेक्नोलॉजीज के हितेश हकानी के अनुसार नकदी बाजार में सक्रिय कारोबारी और मार्केट-मेकर (बाजार में तरलता उपलब्ध कराने वाले संस्थान या व्यक्ति) अधिक भाग लेते हैं। हकानी ने कहा कि ऊंचे प्रतिभूति लेनदेर कर (एसटीटी) और डेरिवेटिव नियम कड़े होने से कारोबार की मात्रा में कमी का उनके दबदबे पर असर हो सकता है।
शेयर बाजार में होने वाली गतिविधियों में एनएसई की अधिक भागीदारी है। बीएसई के एल्गोरिद्म कारोबार से जुड़े आंकड़े उपलब्ध नहीं थे मगर पहले के आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2024 तक बीएसई के नकदी बाजार में एल्गोरिद्म कारोबार की हिस्सेदारी कम थी। बीएसई को इस संबंध में भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं आया।