सुप्रीम कोर्ट में अकेली पड़ी ममता 


कोलकाता । बंगाल पंचायत चुनावों में केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। इतना ही नहीं निर्देश का पालन न करने को लेकर राज्य चुनाव आयोग सहित ममता सरकार को फटकार लगा दी है। सबसे खास बात यह कि कांग्रेस ने भी पूरे मामले में बीजेपी का समर्थन करते हुए टीएमसी का विरोध किया है। कांग्रेस पार्टी की ओर से वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील रखकर बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी के पक्ष को स्वीकार किया। इसके बाद ममता की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। बीते कुछ दिनों पहले ही ममता ने कांग्रेस पर तंज करते हुए निशाना साधा था कि अगर ऐसा हाल रहा, तब फिर लोकसभा चुनाव में समर्थन की उम्मीद न करें।
बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल और राज्य चुनाव आयोग की ओर से मीनाक्षी अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील रखी। दोनों ने सुप्रीम कोर्ट को समझाने की कोशिश की कि कोलकात्ता हाई कोर्ट ने 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनावों के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश देने में गलती की थी। मतदान की तिथि घोषित होने के एक दिन बाद ही फैसला जल्दबाजी जैसा था। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की तैयारियों में कोई कमी है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए हाई कोर्ट को कुछ दिन इंतजार करना चाहिए था।
राज्य चुनाव आयोग की ओर से वकील अरोड़ा ने कहा कि केंद्रीय बलों की मांग करना राज्य आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। राज्य की ओर से बताया गया कि सुरक्षा बलों की आवश्यकताओं के संबंध में आयोग के मूल्यांकन से पहले ही हाईकोर्ट ने दखल किया था। साथ ही कहा कि कुल 61,000 से अधिक बूथों में से केवल 189 संवेदनशील बूथ हैं, जहां अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की आवश्यकता थी। इसके बाद राज्य भर में केंद्रीय बलों की तैनाती पर सवाल खड़ा होता है।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि बंगाल के चुनावों में पहले भी हिंसा देखी गई थी। तथ्य यह है कि हाई कोर्ट आदेश का यह सुनिश्चित करने के लिए है कि पूरे पश्चिम बंगाल राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोजित किए जाएं।