झारखंड में मिला एवियन फ्लू का पहला मामला....
झारखंड में एवियन फ्लू (बर्ड फ्लू) ने दस्तक दे दी है। झारखंड में यह पहला मामला है, जिसमें नौ माह के एक बच्चे की एवियन फ्लू की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। शुक्रवार की शाम रिम्स के माइक्रोबायोलाजी विभाग के डा. मनोज कुमार ने पत्रकारों को बताया कि पीडियाट्रिक विभाग के डा. राजीव मिश्रा की यूनिट में एक बच्चे का सैंपल लिया गया था। जेनेटिक्स एंड जिनोमिक्स विभाग में जांच में बच्चे में एवियन फ्लू की पुष्टि हुई है। बच्चा रामगढ़ के संदवाडीह का रहने वाला है। हालांकि, डाक्टरों का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है, बच्चे को आइसोलेशन में रखा गया है। यह बीमारी पक्षियों में बर्ड फ्लू कहा जाता है, लेकिन जब यह मनुष्यों में होती है तो इसे एवियन फ्लू कहा जाता है।
एवियन फ्लू एच3एन2 संक्रमण पाया गया
बताया कि अभी तक का राज्य का यह पहला मामला है, जिसमें मनुष्य में एवियन फ्लू एच3एन2 संक्रमण पाया गया है। अभी तक पक्षियों में बर्ड फ्लू (एच5एन2) के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें कई बार मुर्गियों, बत्तख समेत अन्य पक्षियों के मरने की सूचना मिलती रही है। इस नए मामले के बाद डाक्टरों का कहना है कि कोरोना काल में जो सावधानी बरती जाती थी, वर्तमान में भी उसका अनुपालन करना उचित होगा। इधर, रिम्स में एच3एन2 के मरीज मिलने के बाद इसकी रोकथाम को लेकर शुक्रवार को एडवाइजरी जारी कर दी गई। राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान, झारखंड के निदेशक आलोक त्रिवेदी ने रिम्स के निदेशक तथा अधीक्षक के अलावा रांची तथा रामगढ़ के सिविल सर्जन को इसे लेकर विशेष एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं।
स्क्रीनिंग तथा टेस्टिंग के निर्देश दिए
उन्होंने एक्टिव सर्विलांस शुरू करने, स्क्रीनिंग तथा टेस्टिंग के निर्देश दिए हैं। इसके तहत इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस तथा एक्यूट रेस्पिरेट्री इलनेस के सभी मरीजों की आरटी पीसीआर जांच होगी। उन्होंने जिला तथा राज्य सर्विलांस यूनिट को भी आवश्यक कदम उठाने को कहा है। साथ ही मास फीवर सर्वे शुरू करने खासकर छोटे बच्चे तथा वृद्ध व्यक्ति को इसके संक्रमण से बचाने को विशेष उपाय करने को कहा है, क्योंकि वे इसके अधिक जोखिम की श्रेणी में आते हैं।