प्रवासी मजदूरों को भेजा जा रहा आमंत्रण पत्र; मतदान करने जरूर पहुंचे
रांची। देश को गढ़ने में श्रमिकों का बड़ा योगदान है। लोकतंत्र के महापर्व में भी हर बार ग्रामीण, किसान और मजदूर बड़ी संख्या में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस बार भी वह चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। चुनाव आयोग की भी कोशिश है कि कोई भी मतदाता मतदान से न छूटे, क्योंकि चुनाव में हर वोट महत्वपूर्ण है।
प्रवासी मजदूरों को चुनाव के लिए भेजा जा रहा पत्र
लोकतंत्र के सशक्त होने का प्रमाण भी यही है कि हर व्यक्ति जागरूक होकर लोकतंत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। मतदाताओं को जागरूक करने के लिए चुनाव आयोग कई तरह की गतिविधियां चला रहा है।
साथ ही जागरूकता अभियान चलाकर सभी से मतदान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वे मतदान प्रतिशत बढ़ाने की अपील की जा रही है। प्रत्येक श्रेणी के मतदाताओं को जागरूक करने के लिए अलग-अलग गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। सभी जिलों के स्वीप कोषांग की ओर से प्रवासी श्रमिकों को पत्र भेजकर चुनाव के दिन अपने घर पहुंचकर मतदान के महापर्व में भाग लेने की अपील की जा रही है।
चुनाव के दिन मजूदरों को सवैतनिक अवकाश
सरकारी से लेकर निजी नियोक्ताओं तक के लिए पहले ही यह निर्देश जारी किया जा चुका है कि मतदान के दिन कर्मचारियों व श्रमिकों को सवैतनिक अवकाश दिया जाय।
प्रवासी मजदूरों में दूर के शहरों, महानगरों व अन्य राज्यों में काम करने वाले श्रमिकों के अलावा बड़ी संख्या में ऐसे भी मजदूर शामिल हैं, जो अपने गांव से दूर जिला या प्रखंड मुख्यालय में या आसपास किसी अन्य जगह में काम कर रहे हैं। इन सभी को मतदान में शामिल होने की अपील से संबंधित आमंत्रण पत्र भेजा जा रहा है।
श्रमिक संगठनों के साथ बैठक कर अपील
श्रमिकों को मतदान से जोड़ने को लेकर धनबाद, जमशेदपुर, रामगढ़, हजारीबाग, बोकारो समेत तमाम जिलों में प्रशासन श्रमिक संगठनों के साथ बैठक कर यह अपील कर रहा है कि श्रमिकों को मतदान करने तथा मतदाता सूची में नाम जुड़वाने आदि के लिए वह प्रेरित व सहयोग करें।
...क्योंकि लोकतंत्र के आप हैं अभिन्न अंग
प्रिय मतदाता, आप इस लोकतंत्र के अभिन्न अंग हैं। जैसा कि आपको मालूम है, आपके लोकसभा क्षेत्र में इस तारीख (मतदान की तिथि का उल्लेख करते हुए) को सुबह सात बजे से लेकर शाम पांच बजे तक मतदान होना है। वर्तमान में आप अपनी आजीविका के लिए अपने घर-गांव से दूर अन्य स्थान में कार्यरत हैं।
मतदान के इस महापर्व में अपने मताधिकार का प्रयोग आप अवश्य करें। मतदान आपका अधिकार ही नहीं, बल्कि कर्त्तव्य भी है। आपका एक वोट मजबूत लोकतांत्रिक भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगा। अतः आप सभी प्रवासी मतदाताओं से अपील है कि आप मतदान में अवश्य भाग लें और शत-प्रतिशत मतदान में अपना अमूल्य योगदान दें। फर्क पड़ता है आपके एक वोट से।
घर लौटने में प्रवासी मजदूरों की कम नहीं परेशानियां
प्रजातंत्र का महापर्व प्रवासी मजदूरों के प्रजातांत्रिक अधिकारों पर भारी है। पेट की आग और महंगाई की मार प्रवासी मजदूरों की मताधिकार करने से रोक रहा है। हालांकि, दुमका जिला के श्रम विभाग की ओर से लोकसभा चुनाव में प्रवासी मजूदरों को मतदान के लिए अनूठी पहल कर मतदान के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
प्रवासी मजदूरों को विभागीय स्तर पर फोन कर एक जून होने वाली मतदान की तिथि की जानकारी देकर मतदान के लिए आने का न्योता दिया जा रहा है। श्रम विभाग ने इसके लिए बजाप्ता एक सेल का भी गठन किया गया है ।
यह सेल ऑनलाइन रजिस्टर्ड मजदूरों को फोन करके लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित कर रहा है। अब तक विभाग के माध्यम से दुमका जिला के 1500 से अधिक प्रवासी मजदूरों को फोन कर मताधिकार के लिए न्योता भेजा जा चुका है और बाकी को भेजा जा रहा है।
पलायन संताल परगना समेत गिरिडीह, कोडरमा व राज्य के अन्य हिस्सों में बड़ी समस्या है। संताल परगना के दुमका, पाकुड़, गोड्डा, देवघर, जामताड़ा एवं साहिबगंज से लाखों की संख्या में श्रमिक रोजगार के लिए पलायन करते हैं।
फिलहाल श्रम विभाग के पोर्टल पर संताल परगना के करीब 60 हजार मजदूर आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर काम की तलाश में दूसरे प्रदेशों में गए हैं। इन प्रवासी मजदूरों की इच्छा वोट करने की है लेकिन आर्थिक तंगी इनके पैरों में बेड़िया लगा रखी है। इन्हें रोक रही है।
दुमका के काठीकुंड प्रखंड के तेलियाचक के मनोज हेंब्रम ने कहा कि वह अभी पुणे में है। गांव से फोन आया है कि एक जून को मतदान है इसलिए आज जाओ। मनोज ने कहा कि वह वोट करने आना चाहता है, लेकिन काम छोड़ कर गए तो परेशानी होगी। जामा के प्रदीप सोरेन ने कहा कि इतने पैसे नहीं हैं कि वह वोट देने आ सके।
प्रदीप ने कहा कि सरकार को उनके मताधिकार की सहज व्यवस्था बहाल करनी चाहिए। सिक्किम में रहकर मजदूरी कर रहे सुखदेव कापरी ने कहा कि वह हाल ही में सिक्किम आया है। यहां एक कंपनी में काम कर रहा है। उसके पास इतना पैसा नहीं है कि वह तीन से पांच हजार रुपये खर्च कर दुमका वोट करने जाए।