झारखंड विधानसभा स्पीकर का आदेश....
रांची। झारखंड विधानसभा में अब सिर्फ हिन्दी में ही विधेयक पारित किए जाएंगे। राजभवन को यही विधेयक मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
बुधवार को विधानसभा परिसर में अधिकारियों के साथ बैठक में विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो ने अधिकारियों को इस संबंध में सतर्कता बरतने का सुझाव देते हुए कहा कि हिन्दी-अंग्रेजी अनुवाद की त्रुटियों के कारण विधेयक लौटाया जाना ठीक नहीं है।
सदन का समय बेहद कीमती है
अधिकारियों को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए। पारित विधेयकों को वापस लौटाने से इन्हें दोबारा विधानसभा से पारित कराना पड़ता है, यह पूरी प्रक्रिया को दोहराने जैसा है। यह ध्यान रखना चाहिए कि सदन का समय बेहद कीमती होता है।
अनुवाद की विसंगतियों के कारण राजभवन से कुछ विधेयकों को लौटाने संबंधी सवाल पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधानसभा से अब सिर्फ हिन्दी में ही विधेयक पास होंगे। अंग्रेजी में इसे अनुवाद के लिए सरकार के संबंधित विभाग के साथ-साथ राजभवन सक्षम है।
सर्वदलीय बैठक से फिर दूरी बनाई भाजपा
बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक से भाजपा ने फिर दूरी बनाई। भाजपा की गैर-मौजूदगी पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इसपर वही लोग जानकारी दे सकते हैं।
बैठक में कई बार व्यस्तता के कारण भी सदस्य उपस्थित नहीं हो पाते हैं। उल्लेखनीय है कि भाजपा आरंभ से सर्वदलीय बैठकों से दूरी बनाती रही है। इसका मुख्य कारण भाजपा विधायक दल के नेता को विधानसभा सचिवालय से मान्यता नहीं मिलना है।
स्पीकर न्यायाधिकरण में दल-बदल का मामला लंबित होने के कारण बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक दल के नेता की मान्यता नहीं मिली है। मुख्य विरोधी दल के सचेतक बिरंची नारायण को बैठक के लिए आमंत्रित किया जाता है।
बाबूलाल मरांडी भी हो बैठक में शामिल
उधर, बिरंची नारायण का कहना है कि बाबूलाल मरांडी को बैठक के लिए आमंत्रित करना चाहिए। संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि बैठक में अगर भाजपा की तरफ से उपस्थिति रहती तो बेहतर होता।
बैठक का संचालन सदन को सुचारु तरीके से चलाने के लिए किया जाता है। बुधवार को संपन्न बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम, श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता, विधायक सरयू राय, कमलेश सिंह, अमित यादव और आजसू से लंबोदर महतो ने भाग लिया।
पक्ष-विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण
विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो ने कहा है कि सदन को सुचारू रूप से चलाने में पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों की भूमिका रहती है। मानसून सत्र के दौरान सभी सदस्य जनहित के मुद्दों का समाधान कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे।
सदस्य हर हाल में सुचारू रूप से सदन संचालन में सहयोग करेंगे। व्यवधान उत्पन्न होने की संभावना नहीं है। कोई व्यवधान होगा तो उसका पटाक्षेप करेंगे। सदन जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा।
राजभवन बनाम सरकार पर हंगामा संभव
विधानसभा का मानसून सत्र 28 जुलाई से आरंभ होगा। सत्र चार अगस्त तक चलेगा। इस दौरान छह कार्यदिवस होंगे। पहला दिन विधायी औपचारिकताओं में गुजरेगा।
इसके बाद दो दिनों तक अवकाश रहेगा। 31 जुलाई को चालू वित्तीय वर्ष का पहला अनुपूरक बजट पेश होगा। सत्र के लिए पक्ष-विपक्ष 27 जुलाई को अपनी रणनीति को अंतिम रूप देगा। इस दिन सत्तारूढ़ गठबंधन की बैठक मुख्यमंत्री आवास में होगी।
भाजपा विधायकों की बैठक प्रदेश कार्यालय में बुलाई गई है। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर राज्यपाल द्वारा दिए गए बयान पर हंगामा हो सकता है।
सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसका विरोध करते हुए राज्यपाल पर निशाना साधा है। मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि यह मामला विधानसभा में उठेगा। ऐसा हुआ तो भाजपा इसका विरोध करते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करेगी।