झारखंड में मानसून को लेकर आया नया अपडेट; अलर्ट जारी
राजधानी समेत राज्यभर में गर्मी से लोगों को अभी राहत नहीं मिलने वाली हैं। राज्यभर में हीटवेव जारी रहेगा। शुक्रवार को राजधानी का अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया है। जबकि न्यूनतम तापमान 27 डिग्री रिकार्ड किया गया है। वहीं पिछले साल जहां 19 जून को मानसून झारखंड में सक्रिय हुआ था, इस साल 15 से 16 जून तक पहुंचने का अनुमान है।
जबकि, 11 से 13 जून तक प्री-मानसून वर्षा होने का अनुमान है। राजधानी समेत राज्यभर में अब भी 80 प्रतिशत किसान खेती के लिए मानसून पर निर्भर है। मौसम विज्ञानी अभिषेक आनंद ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल अच्छी वर्षा की उम्मीद है। जुलाई में अच्छी वर्षा होने की संभावना है। इसलिए किसान जुलाई में बिचड़ा व रोपनी का काम करें। इस वक्त खेतों में पानी भरा हुआ रहेगा। जिससे फसल जोतने से लेकर रोपनी करने तक का काम आसानी से किया जा सकेगा।
पेड़ों की कटाई गर्मी का मुख्य कारण
मौसम विज्ञानी अभिषेक आनंद ने बताया कि शहर समेत आसपास के क्षेत्रों में विकास के नाम पर तेजी से पेड़ों की कटाई जारी है। पेड़ों के महत्व को लोग नहीं समझ रहे है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई गर्मी का मुख्य कारण है। पहले से अब रांची का वातावरण बदल चुका है। अब पहले जैसा रांची नहीं रह गया है। जितने पेड़ काटे गए है, उनका 50 प्रतिशत पेड़ भी शहर में नहीं दिखाई पड़ते हैं। पर्यावरण के प्रति सभी को सजग होना होगा।
क्या कहते है किसान
अधिकांश किसान आज भी वर्षा पर ही निर्भर है। वहीं बादलों की मौजूदगी व हवा के बीच जनजीवन उमसभरी गर्मी से जूझ रहा है। वर्षा के इंतजार में जून माह के पहला सप्ताह तक धान की फसलों की बीज डालने की रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। खेतों को तैयार कर किसान अब सतत बारिश का इंतजार कर रहे है।
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचंड गर्मी पड़ने एवं वर्षा नहीं होने के कारण खेतों में बीज डालने काम ठप पड़ा है। किसान अभी भी धान का बिचड़े डालने के लिए खेत तैयार नहीं कर पाए हैं। अगर वर्षा होती तो किसान खेत तैयार कर बीज डाल चुके होते।
वर्षा में विलंब होने से इस वर्ष भी धान की खेती पिछड़ने के आसार दिख रहा है। किसानों को वर्षा का इंतजार कर रहे हैं। साथ ही बीज खरीदने के लिए वर्षा का राह ताक रहे है। जल्दी वर्षा होती तो अच्छी खेती होने की संभावना है। पिछले साल अंतिम समय पर अच्छी वर्षा हुई थी।
जब तक वर्षा से खेत भर नहीं जाता है। तब तक बीज खरीदने का सवाल ही नहीं उठता है। इनका कहना है कि खेत में लगे सब्जी के पटवन के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। वर्षा होने के बाद ही खेत तैयार की जाएगी।